भारत के पड़ोसी देश से गुमसुम से 1 लाख बन्दर ले गया china : कई देश हुए परेशान
चीन श्रीलंका से 1,00,000 बंदर खरीद रहा है। इससे पहले चीन पाकिस्तान से हजारों गधे भी खरीद चुका है, लेकिन चीन ऐसा क्यों कर रहा है? चीन पाकिस्तान के गधों और श्रीलंका के बंदरों के साथ ऐसा क्या करने वाला है वो आज आपको इस लेख में बतायेंगी।
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में चीन ने खतरनाक खेल खेल रहा है।
दरअसल चीन ने श्रीलंका की सरकार से कहा है की उसे 1,00,000 बंदर चाहिए। चीनी कर्ज और गरीबी की मार झेल रही श्रीलंका की सरकार ने चीन की बात मान भी ली है। श्रीलंका में 30,00,000 से भी ज्यादा बंदर मौजूद हैं। ऐसे में श्रीलंका की सरकार चीन को 1,00,000 बंदर निर्यात करने के लिए तैयार हो गई है। खबर सामने आते ही चीन ने कहा है कि वो श्रीलंका से खरीदे गए बंदरों को अपने 1000 से ज्यादा चिड़ियाघरों में रखेगा, लेकिन चीन जो कहे उस पर आप कभी भी यकीन मत करिएगा।
चीन के द्वारा चुराए गये बंदरो की संख्या ?
बंदरो की संख्या | 1 लाख |
श्रीलंका बंदर मौजूद हैं | 30,00,000 से भी ज्यादा |
1 बंदर श्रीलंका से अपने देश पहुंचाने के लिए चीनी की खर्च ? | ₹50,000 |
दावा किया जा रहा है कि चीन श्रीलंका से खरीदे गए ज्यादातर बंदरों को खाने के लिए खरीद रहा है। चीन में बंदरों का मांस काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। हैरानी की बात देखिए कि चीन श्रीलंका में बंदरों को पकड़ने का खर्चा भी खुद उठाएगा। इसके अलावा चीन बंदरों को अपने देश तक लाने का खर्चा भी उठाएगा। सिर्फ एक बंदर को श्रीलंका से अपने देश पहुंचाने के लिए चीनी सरकार ₹50,000 खर्च कर रही है। अब आप अंदाजा लगा लीजिए की 1,00,000 बंदरों का कितना खर्चा आएगा। चीन के लोग बंदरों के मांस के लिए मुंहमांगी रकम देने के लिए तैयार रहते हैं।
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चीन में बंदरों के अलावा गधे का मांस भी काफी डिमांड में रहता है। चीन की गधों वाली डिमांड पाकिस्तान पूरी कर रहा है। चीन के लोगों का मानना है कि गधों और बंदरों के मांस से मर्दाना ताकत बढ़ाई जा सकती है। दरअसल चीन के लोग एक हीन भावना का शिकार हैं। उन्हें लगता है कि दुनिया के लोगों के मुकाबले शारीरिक रूप से वो कमजोर होते हैं। इसीलिए चीन में कई तरह के जानवरों के मांस को यह कहकर बेचा जाता है कि इससे चीन के लोगों की ताकत बढ़ सकती है। इसी बेवकूफ़ी में चीन के लोग किसी भी जानवर का मांस खा जाते है।
चीन के इस कारोबार का एक अधिकारिक, वैज्ञानिक, और आयात-नियमों के तहत समझदारी से परीक्षण किया जाना चाहिए, ताकि इसके पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन किया जा सके और इसका सवालजवाब तय किया जा सके।
इसके अलावा, श्रीलंका के बने जीवन पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसमें उनके जैव विविधता और जीवों के संरक्षण का सवाल है। इसलिए, इस प्रक्रिया को विवेकपूर्ण तरीके से समझदारी से नियंत्रित किया जाना चाहिए, ताकि यह श्रीलंका के प्राकृतिक संसाधनों को हानि नहीं पहुंचाए।
यही कारण है कि चीन के लोग इतनी खतरनाक बीमारियां भी फैलातें हैं। अब चीन में गधे और बंदर पहुँच रहे हैं तो सोचिये आने वाले दिनों में क्या हो सकता है?